11 दिनों के भीतर असद परिवार की सत्ता को खत्म करने के पीछे Abu Muhammad al-Jolani का बड़ा हाथ है। 42 साल का यह सुन्नी नेता कभी अबू बकर अल-बगदादी का लेफ्टिनेंट था, लेकिन अब वह सीरिया के सबसे प्रभावशाली विद्रोही नेता के रूप में उभरा है।
8 दिसंबर की रात, भारत में लगभग 12 बजे, एक खबर ने हलचल मचा दी। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पूरे परिवार के साथ रूस भाग चुके थे। यह घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब 27 नवंबर को Syrian rebels Hayat Tahrir al-Sham ने अलेप्पो पर हमला किया। राष्ट्रपति असद को अंदाजा भी नहीं था कि उनके शासन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
विद्रोही परिवार से आया, विद्रोही बना
Abu Muhammad al-Jolani का जन्म 1982 में हुआ। जुलानी के पिता अहमद हुसैन का संबंध एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से था। अहमद हुसैन ने 1961 के तख्तापलट का जमकर विरोध किया था, जिसके कारण उन्हें जेल और निर्वासन का सामना करना पड़ा। उनकी शिक्षा इराक में हुई, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। बाद में, वे सऊदी अरब चले गए और 10 वर्षों तक वहां पेट्रोलियम इंजीनियर के रूप में काम किया।
1989 में हुसैन अपने परिवार के साथ सीरिया लौट आए। जुलानी उस समय केवल 7 साल का था। दमिश्क में पढ़ाई करते हुए जुलानी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन कॉलेज में, उसकी मुलाकात कट्टरपंथी विचारधारा वाले छात्रों से हुई, जिसने उसके जीवन की दिशा बदल दी।

2003 में जब अमेरिका ने इराक पर आक्रमण किया, तो यह जुलानी के लिए निर्णायक क्षण साबित हुआ। वह मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर जिहाद की राह पर निकल पड़ा। इराक में, उसने अल-कायदा के नेताओं के संपर्क में आकर आतंक की दुनिया में कदम रखा। 2006 में, उसे अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यहीं उसकी मुलाकात बगदादी के करीबी लोगों से हुई, जिन्होंने उसे एक प्रतिभाशाली रणनीतिकार बताया।
2011 में जेल से रिहा होने के बाद जुलानी ने बगदादी को एक विस्तृत पत्र लिखा, जिसमें उसने सीरिया के इतिहास और रणनीतिक महत्व की जानकारी दी। इससे प्रभावित होकर बगदादी ने उसे सीरिया भेजा। जुलानी ने वहां आत्मघाती हमलों की शुरुआत की और जल्द ही अपने नेतृत्व कौशल से 5000 लड़ाके जुटा लिए।
अल-कायदा से अलग हुआ और खुद का संगठन बनाया
2014 में, बगदादी ने जुलानी को ISIS से जुड़ने का आदेश दिया। लेकिन जुलानी ने इनकार कर दिया। इसके बाद उसने अल-कायदा से भी दूरी बना ली और अपना संगठन “जबात अल-नुस्रा” खड़ा किया। उसने सीरिया में असद सरकार को गिराने और शरिया लागू करने का लक्ष्य रखा।

2016 में, जुलानी ने Syrian rebels Hayat Tahrir al-Sham नाम से नया संगठन बनाया और अल-कायदा से पूरी तरह अलग होने की घोषणा की। उसने तुर्की समर्थित फ्री सीरियन आर्मी के साथ गठबंधन किया और इदलिब पर अपना कब्जा मजबूत किया।
असद की सत्ता का पतन
2023 में, इजराइल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध ने जुलानी को मौका दिया। रूस ने अपने सैनिक सीरिया से हटा लिए, और ईरान व हिज़बुल्लाह का ध्यान भी भटक गया। जुलानी ने अपनी ताकत बढ़ाई और सीरियाई सेना पर हमला कर दिया। 11 दिनों में उसने असद सरकार का तख्तापलट कर दिया।
एक नया युग शुरू
तख्तापलट के बाद, जुलानी ने दमिश्क की ऐतिहासिक उमय्यद मस्जिद में भाषण दिया। उसने कहा कि अब सीरिया की जनता अपने भाग्य की मालिक है। जुलानी ने वादा किया कि बदला नहीं लिया जाएगा और देश को शांति और लोकतंत्र की ओर ले जाया जाएगा।
आज Abu Muhammad al-Jolani की कहानी कट्टरपंथ, रणनीति और सत्ता के खेल की जटिलता को दर्शाती है। उसका असली नाम अहमद अल-शारा है, लेकिन दुनिया उसे जुलानी के नाम से जानती है। सीरिया में सत्ता परिवर्तन और क्षेत्रीय स्थिरता के बीच उसकी भूमिका पर चर्चा जारी है।

Israel Defence Forces (IDF) ने सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान अपनी सीमाओं की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया और हिज़बुल्ला के ठिकानों पर कई हवाई हमले किए, ताकि संभावित खतरों को रोका जा सके। IDF ने सीरिया में हथियारों की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों पर भी सख्ती से नजर रखी। इसके साथ ही, इसराइल ने “ऑपरेशन गुड नेबर” के तहत घायल सीरियाई नागरिकों और शरणार्थियों को चिकित्सा और मानवीय सहायता प्रदान की। इसराइल की यह रणनीति उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवीय जिम्मेदारियों को निभाने का भी उदाहरण है। इन सभी कदमों का मुख्य उद्देश्य इसराइल की सीमाओं को सुरक्षित रखना और दुश्मनों की ताकत को कमजोर करना था।
FREQUENTLY ASKED QUESTIONS
1. Abu Muhammad al-Jolani कौन है?
अबू मोहम्मद अल-जुलानी, जिनका असली नाम अहमद अल-शारा है, एक सुन्नी विद्रोही नेता हैं। वह कभी अबू बकर अल-बगदादी के लेफ्टिनेंट थे और अब सीरिया में विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख हैं।
2. जुलानी ने मेडिकल की पढ़ाई क्यों छोड़ी?
जुलानी ने मेडिकल की पढ़ाई 2003 में तब छोड़ दी, जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया। इसके बाद उन्होंने जिहाद का रास्ता अपनाया और इराक जाकर अल-कायदा से जुड़ गए।
3. जुलानी ने बगदादी और अल-कायदा से संबंध क्यों तोड़े?
2014 में, बगदादी ने जुलानी को ISIS से जुड़ने का आदेश दिया, लेकिन जुलानी ने इनकार कर दिया। 2016 में, उसने अल-कायदा से भी अलग होकर अपने संगठन को नया नाम “फतह अल-शाम” दिया ताकि अपनी स्वतंत्र पहचान बना सके।
4. जुलानी ने असद सरकार का तख्तापलट कैसे किया?
जुलानी ने सीरिया के गृह युद्ध के दौरान अपनी ताकत बढ़ाई। रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास जंग के चलते रूस और ईरान का ध्यान सीरिया से हट गया। इस मौके का फायदा उठाकर जुलानी ने सीरियाई सेना पर हमला किया और 11 दिनों में असद सरकार को गिरा दिया।
5. जुलानी का संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) क्या है?
हयात तहरीर अल-शाम (HTS) सीरिया का एक विद्रोही संगठन है, जिसकी स्थापना जुलानी ने 2017 में की। यह संगठन असद सरकार को उखाड़ फेंकने और शरिया कानून लागू करने के लिए काम करता है।
6. क्या जुलानी का इजराइल और अमेरिका के प्रति रुख बदला है?
जुलानी ने हाल के वर्षों में इजराइल और अमेरिका के खिलाफ जंग छेड़ना बंद कर दिया है। इसके कारण इन शक्तियों ने उसे टारगेट करना भी कम कर दिया है। हालांकि, उसका मुख्य लक्ष्य अभी भी सीरिया से असद सरकार को हटाना है।