Mahashivratri (2025) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन शिव-पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।
Mahashivratri 2025 के अवसर पर भक्तों से भरे मंदिर
Mahashivratri 2025 के अवसर पर देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं और “हर हर महादेव”, “जय शिव शंभू” के जयकारों से माहौल को भक्तिमय बनाते हैं। इस बार भी महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, जिसके चलते मंदिरों में तिल रखने की भी जगह नहीं बची. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस-प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा सुचारु रूप से कर सकें, इसके लिए कई स्थानों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये थे.
बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिले में भी महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. दरभंगा के शिवाजी चट्टी चौक, डोकाली महादेव मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं. वहीं मधुबनी जिले के प्रसिद्ध उगना महादेव मंदिर में भी सुबह से ही जलाभिषेक के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस दौरान प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
मधुबनी जिले के ट्रैफिक थाना प्रभारी नीलमणि रंजन ने यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाए रखा, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो। मधुबनी ट्रैफिक पुलिस की इस कार्यशैली की खूब सराहना हुई। महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व महाशिवरात्रि सिर्फ एक त्योहार ही नहीं, बल्कि साधना का भी महत्वपूर्ण दिन है।
महाशिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले और रात्रि जागरण करने वाले तथा शिवलिंग की पूजा करने वाले भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
यह पर्व आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शिव भक्त बेलपत्र, दूध, दही, शहद, गंगाजल और भांग आदि से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं और उनसे अपने जीवन के कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
Mahashivratri 2025 के अवसर परअनोखी पूजा परंपरा
हर क्षेत्र में महाशिवरात्रि की पूजा करने का अपना अलग तरीका है। मधुबनी जिले के उगना महादेव मंदिर में पूजा की अनूठी परंपरा है, जहां भक्त शिवलिंग पर विशेष श्रृंगार और रुद्राभिषेक करते हैं। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार कवि विद्यापति के अनुरोध पर भगवान शिव स्वयं इस स्थान पर प्रकट हुए थे और अपने भक्तों को दर्शन दिए थे। इसलिए यहां महाशिवरात्रि की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
इसके अलावा मिथिलांचल क्षेत्र में भक्त रात भर शिव भक्ति में डूबे रहते हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कुछ स्थानों पर शिवबारात भी निकाली जाती है, जिसमें भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाकर शहर में घुमाया जाता है।
उपसंहार
महाशिवरात्रि भगवान शिव की भक्ति और साधना का पर्व है। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने की कामना करते हैं। मंदिरों में उमड़ी भारी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि शिव की भक्ति कितनी गहरी और व्यापक है।
बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिलों में Mahashivratri 2025 पर्व का विशेष उल्लास देखने को मिला, जहां भक्तों ने श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा की। इस दिन की पूजा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है बल्कि जीवन की परेशानियों को दूर करने का मार्ग भी दिखाती है।