दरभंगा मेडिकल कॉलेज (DMC) के गेस्ट हाउस में हाल ही में डीएमसी अल्युमिनी एसोसिएशन की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. भरत प्रसाद ने की, जबकि सचिव डॉ. रमन कुमार वर्मा ने बैठक की संचालन की जिम्मेदारी संभाली। इस बैठक में मुख्य रूप से आगामी शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजन के बारे में विचार विमर्श किया गया।
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण और चर्चित मुद्दा दरभंगा मेडिकल कॉलेज के नाम को लेकर था। डॉ. रमन कुमार वर्मा की पहल पर यह निर्णय लिया गया कि शताब्दी समारोह के अवसर पर इस मेडिकल कॉलेज का नाम “महाराजा रामेश्वर सिंह दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय” रखने का प्रस्ताव सरकार से किया जाएगा। यह कदम महाराजा रामेश्वर सिंह द्वारा इस संस्थान की स्थापना में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने के लिए उठाया गया है, जिन्होंने इसके लिए ज़मीन और धन का दान किया था।
शताब्दी समारोह की प्रगति पर जानकारी
समारोह के आयोजन सचिव, डॉ. सुशील कुमार ने शताब्दी समारोह की अब तक की प्रगति के बारे में पूर्ववर्ती छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश-विदेश में इस आयोजन को लेकर छात्रों में गजब का उत्साह है और बड़ी संख्या में पूर्व छात्र इसमें भाग लेने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई ऐसे छात्र-छात्राओं से संपर्क किया गया है, जिनसे पहले लंबे समय से बातचीत नहीं हुई थी, और अब वे भी समारोह में भाग लेने को लेकर काफी उत्सुक हैं।
डॉ. सुशील कुमार ने अपने बैच के दो प्रसिद्ध डॉक्टरों, डॉक्टर टोपनो और डॉक्टर एनी टुडू का जिक्र किया, जो अब जीवन के सातवें दशक में हैं, लेकिन फिर भी वे इस समारोह में भाग लेने के लिए दूर-दराज से आएंगे। इससे यह साबित होता है कि इस समारोह का महत्व और पूर्व छात्रों के बीच इसके लिए उत्साह बहुत अधिक है।

दरभंगा मेडिकल कॉलेज के कैंपस में सुधार की आवश्यकता
डॉ. सुशील कुमार ने बैठक में प्राचार्य डॉ. अलका झा के साथ कैंपस का दौरा करने की जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से पुरुष छात्रावास और तालाब के बीच स्थित खेल मैदान की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मैदान को अधिक उपयोगी बनाने के लिए उसकी साफ-सफाई और कुछ मिट्टी की भराई की आवश्यकता है। इसके अलावा तालाब के आसपास के वृक्षों की छटाई की भी आवश्यकता है। उन्होंने पैथोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम कुमारी से अनुरोध किया कि वे माली से मिलकर पेड़ों की छटाई करवाने का काम करें, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
दरभंगा मेडिकल कॉलेज: समारोह को लेकर विचार-विमर्श
समारोह की भव्यता को लेकर भी कई विचार विमर्श हुए। कुछ सदस्यों ने डेलीगेट फी में कटौती के कारण उत्पन्न बजट की समस्या को लेकर चिंता व्यक्त की। इस पर डॉ. भरत प्रसाद ने स्रोतों से धन संग्रह के लिए सभी को प्रेरित किया। डॉ. संजय झा ने भी अपने विभाग के माध्यम से धन जुटाने के लिए हर संभव प्रयास करने का भरोसा दिलाया।
डॉ. अनामिका ने समारोह के दौरान एक स्टार नाइट आयोजन करने का सुझाव दिया, जिसे डॉ. हरी दामोदर सिंह ने स्वीकृति दी और इस पर बात करने के लिए कुछ सेलिब्रिटी से संपर्क करने की पहल की। इसके अलावा, डॉ. गौरी शंकर झा ने इस आयोजन के लिए स्पॉन्सर की व्यवस्था करने का सुझाव दिया, ताकि समारोह और भी भव्य और सफल हो सके।

सुरक्षा व्यवस्था और अन्य पहल
समारोह के दौरान अवांछित तत्वों से बचाव के लिए बार कोडिंग की व्यवस्था करने पर सभी ने सहमति जताई। इसके अलावा, डॉ. ओम प्रकाश ने राज्यपाल और महाविद्यालयों के कुलपतियों से संपर्क करने की योजना बनाई ताकि उन्हें भी इस महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल किया जा सके।
दरभंगा मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्यों को आमंत्रित करना
डॉ. सुशील कुमार ने प्रस्ताव रखा कि समारोह में सभी पूर्व प्राचार्यों को भी आमंत्रित किया जाए, जिसे सभी उपस्थित सदस्यों ने सहर्ष स्वीकार किया। इस प्रस्ताव पर सभी ने पूर्ण सहमति व्यक्त की और यह सुनिश्चित किया कि समारोह में हर एक पूर्व प्राचार्य को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया जाए।
निष्कर्ष
बैठक के समापन पर, डॉ. रमन कुमार वर्मा और डॉ. सुशील कुमार ने सभी उपस्थित सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया और यह सुनिश्चित किया कि शताब्दी वर्ष समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हो और यह आयोजन डीएमसी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो।
यह बैठक दरभंगा मेडिकल कॉलेज के इतिहास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर छात्रों, पूर्व छात्रों और कर्मचारियों की एकता और उत्साह का परिचायक बनी, जो निश्चित ही शताब्दी समारोह के सफल आयोजन में सहायक सिद्ध होगी।

दरभंगा से सौरभ झा ,खबर हिंदुस्तान तक